राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तनातनी के बीच अब बड़ा भूचाल आने वाला है। गहलोत और पायलट के बीच पिछले चार साल से सियासी जंग चल रही है। यह जंग पहले अंदरूनी थी और पिछले कुछ महीनों से खुले मैदान में आमने सामने लड़ी जा रही है। नेतृत्व को लेकर चल रही इस जंग में कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। पहले बयानों के तीर चले और अब सड़कों पर आन्दोलन शुरू हो गए हैं। अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सचिन पायलट ने आन्दोलन की खुली चेतावनी दे दी है। इसे लेकर पार्टी में भारी टेंशन चल रहा है। कांग्रेस आलाकमान सुलह का प्रयास करना चाहते हैं लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं सूझ रहा। आखिर करे तो क्या करे। गहलोत और पायलट के बीच चल रहे सियासी युद्ध का फिलहाल कोई अंत होता नजर नहीं आ रहा है। इस सियासी युद्ध की गेंद दिल्ली में है। कांग्रेस आलाकमान भी यह तय नहीं कर पा रहा है कि वे इस गेंद को किधर फेंके। गहलोत और पायलट दोनों की वरिष्ठ नेता हैं। हाईकमान किसी को खोना नहीं चाहता लेकिन अब कांग्रेस हाईकमान के पास भी कोई चारा नहीं बचा है। राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव है।गहलोत और पायलट के झगड़े से पार्टी को बड़ा नुकसान होना तय है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान को अब कठोर फैसला लेना पड़ेगा। फैसला नहीं लेने पर भी पार्टी को नुकसान होना तय है। इससे अच्छा है पार्टी अपना अंतिम फैसला सुनाए। गुरुवार से दिल्ली दरबार में बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। माना यही जा रहा है कि इन बैठकों में राजस्थान की सियासी जंग मुख्य एजेंडा है.. शुक्रवार 26 मई की दोपहर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली जा रहे हैं। कहा ऐसा जा रहा है कि गहलोत नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं लेकिन नीति आयोग की बैठक तो शनिवार 27 मई को सुबह 10:30 बजे शुरू होनी है। अब सोचिए कि सीएम गहलोत बैठक से 21 घंटे पहले दिल्ली क्यों जा रहे हैं। जाहिर तौर पर पहले दिन दिल्ली जाकर वे कांग्रेस हाईकमान से मिलकर अपनी बात करेंगे। बताया जा रहा है कि गहलोत चाहते हैं सचिन पायलट द्वारा उठाए गए मुद्दों और आरोपों का जबाव पायलट को देने के बजाय पार्टी नेतृत्व को दें क्योंकि आखिर निर्णय भी तो पार्टी नेतृत्व को ही करना है। केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि राजनीति में रुची रखने वाले देश के हर नेता और नौजवानों की निगाहें इसी मसले पर टिकी है। लोग देखना चाहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान गहलोत और पायलट के मसले पर क्या फैसला लेगा। एक नेता के पास 40 साल का राजनैतिक अनुभव और भविष्य को लेकर बड़ा विजन है जबकि दूसरे नेता के पास ऊर्जावान युवा टीम के साथ स्पष्टवादिता है। दिल्ली दरबार में 25, 26 और 27 मई को अलग अलग बैठकें होनी है। राजस्थान का फैसला कब किस बैठक में होने वाला है। इसके लिए फिलहाल इंतजार करना होगा।
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